Thursday, September 9, 2010

If I had 24hrs to live......

My first post on my blog.. kaafi general sa topic na.. Facebook pe Personality quiz mein ye question kaafi zyada rehta hai..
But Maa asked me to write on this topic in Hindi..for her blog.. Pehle I thought ki ab is topic pe kya likhungi.. But I had to.. bohot socha... Chak de type dialogues aaya (remember that 70 minute waala dialogue :P ) phir kal ho na ho.. saari movies dimaag mein chal rahi thi..
But then, I just thought over the topic again.. Thought deeply over it and socha ki agar sach mein ye hoga toh..... and then, I came up with this.. This is not a note where I have used beautiful words (if u find any :P) to impress maa or not a note to show how emotional I am.. well haan, aisa lag sakta hai ki kuchh movies se inspire hoke ek-do sentence hai par ab utna toh chalta hai na ;) but all I can say is I guess, it's just the truth..:)


 सुबह ४ बजे का वक़्त था .. बाहर कड़ाके की ठण्ड , रजाई के अन्दर ठिठुरते हुए सो रही थी कि अचानक एक आवाज़ आई ..
पहली बार तो ये सोच के कि घर के नीचे कोई बात कर रहा होगा , मैंने ध्यान नहीं दिया..
आवाज़ फिर आई .. किसी ने कहा – “अंकू , बाहर आओ ..” डर लगा .. इस वक़्त मुझसे मिलने कौन आया है ..
डरते डरते मैंने अपने पाँव बढ़ाये .. बालकनी में जाके खड़ी हुई तो देखा कि आसमान में एकअजीब सी रौशनी थी .. ऐसा लगा वो रौशनी सीधे मुझ तक पहुच रही थी .. ठण्ड में भी गर्माहट महसूस हुई ..
न कोई चेहरा , ना कोई नाम .. बस एक आवाज़ .. एक सौम्य आवाज़ होने के बावजूद , मुझे उस आवाज़ से डर लगा .. उस आवाज़ ने कुछ ऐसा कह दिया कि ...............वो कुछ मिनट डर ,परेशानी , सवाल , इन सब से भरे थे .. उसने कहा “जी लो ये २४ घंटे .. कल के बाद तुम्हें ये चेहरेनहीं देखने को मिलेंगे .. ना ही ये तुम्हें देख पाएंगे ..
जी लो ये २४ घंटे , क्यूंकि कल के बाद तुम इनका हाथ नहीं पकड़ सकोगी , तुम इनसे जिद्द नहीं कर सकोगी ,अपना प्यार नहीं जता सकोगी , अपनी वो हर बचकाना हरकतें नहीं कर सकोगी , क्यूंकि तुम्हारे पास जीनेके लिए सिर्फ २४ घंटे हैं ..”
मैं पूछना चाहती थी “क्यूँ ,?” कई सवाल थे पर वो सवाल ही रह गए .. रौशनी कम होते गयी ..मेरे हाथ पाँव ठन्डे पड़ गए .. ऐसा लगा कि पूरा आसमान मेरी ही तरह , कई भावनाओं से गुज़र रहा था ..
5 बजे का वक़्त था .. मैं दूसरे कमरे में गयी , दरवाज़ा बन्द किया .. मन था कि चिल्ला उठूं , जोरजोर से रोऊँ , पर नहीं कर सकी .. मैं रोई , काफी देर तक ..
थोड़ी देर बाद माँ ने आवाज़ दी .. मैं कमरे में आई तो माँ ने मुझे देखते ही पूछा “रोईहो बेटा ? क्या हुआ ?”
जिस चुप्पी के साथ मैं घुसी थी , वो टूट गयी .. जोर जोर से रोते हुए मैं माँ के गले लग गयी .. सब उठ गए ..
रोते रोते हिम्मत करके पूरी बात मैंने बताई.. 
भईया ने मज़ाक में उड़ा दिया , अम्मा ने विश्वास नहीं किया .. माँ -दीदी ने दिलासा दिलाया – ऐसा नहीं है बेटा .. पर उनकी आँखें देख के लगा कि ये सच है ......
सुबह की दिनचर्या वैसे ही चली .. नाश्ते के बाद माँ -दीदी मेरे पास आए .. हम तीनों की आँखेंनम थी ..
आधा दिन लगभग गुज़र चुका था .. बात कम रोना ज्यादा हुआ .. पर फिर बस लगा कि रोना कुछ गलतनहीं पर क्यूँ ना ये बाकी का दिन कुछ यूँ बिताऊं कि आज के बाद भी ये पल ज़िन्दगी भर रहें ..
दीदी ने अपनी रोती हुई आवाज़ में सवाल किया – अंकू बताओ क्या करने का मन है ?
मूवीज में यही देखते थे कि जब भी किसी कि लाइफ में एक दिन बाकी था , तो सब सोचते हैं कि जो
नहीं किया है वो करना है .. पर दीदी के इस सवाल का मेरे पास कोई जवाब ही नहीं था .. क्यूंकि कभी इस तरह सोचा ही नहीं कि एक दिन बचेगा ज़िन्दगी में तो ऐसा क्या करना चाहूँगी जो कभी नहीं किया ..
बस एक बात कही मैंने – दीदी , बस साथ रहना है .. ऐसा नहीं है कि आज रुलाई नहीं आएगी .. 
बहुत आएगी पर बस साथ रहना है ........................

1 comment:

  1. ale mela babu hamesha saath hain..hamesha and forever...bahut achha likhi ho...lona aa gaya humko to...mitthi... :)

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